Comprehension: | ||
रुदन में कितना उल्लास, कितनी शान्ति, कितना बल है । जो कभी एकान्त में बैठकर, किसी की स्मृति में, किसी के वियोग में, सिसक – सिसक और बिलख – बिलख नहीं रोया, वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित है, जिस पर सैकड़ों हँसियाँ न्यौछावर हैं । उस मीठी वेदना का आनंद उन्हीं से पूछो, जिन्होंने यह सौभाग्य प्राप्त किया है । हंसी के बाद मन खिन्न हो जाता है आत्मा क्षुब्ध हो जाती है, मानो हम थक गये हों, पराभूत हो गये हों रुदन के पश्चात एक नवीन स्फूर्ति, एक नवीन जीवन, एक नवीन उत्साह का अनुभव होता है । | ||
SubQuestion No : 7 | ||
Q.7 | ‘सैकड़ों हँसियाँ न्यौछावर हैं’ कहने का आशय है कि – | |
Ans | A. रुदन पर हँसी को बलिहार कर देना चाहिए। | |
B. जीवन में रुदन का मूल्य हँसी से अधिक है । | ||
C. हँसी का त्याग करके मनुष्य को रुदन का वरण करना चाहिए । | ||
D. जीवन में रुदन अधिक है, हँसी कम है, अतः जो अधिक है उसे ही अपनाना चाहिए । |
Correct Ans: A